Mount. Trishul from Almora |
ओ हिमालय,
ओ महान हिमालय
तुम निडर थे,
मजबूत थे,सशक्त थे
स्वाभिमान था तुम्हे,
अभिमान था तुम्हे
तुम्हारे होने पर
सबसे ऊंचा होने पर
पर देखो मैंने(इंसान) क्या किया
चुटकियो में तोड़ दिया
अभिमान तुम्हारा
बिगाड़ दी शक्ल तुम्हारी
सुखा दिया तुम्हे
तुम्हारा अभिमान तोड़ दिया
तुम्हे लगता था बहुत छोटा हूँ
सामने तुम्हारे
तुम्हे लगता था महज, लेकिन
मैं इंसान हूँ कुछ भी कर सकता हूँ।
चुटकियो में तोड़ दिया
अभिमान तुम्हारा
बिगाड़ दी शक्ल तुम्हारी
सुखा दिया तुम्हे
तुम्हारा अभिमान तोड़ दिया
तुम्हे लगता था बहुत छोटा हूँ
सामने तुम्हारे
तुम्हे लगता था महज, लेकिन
मैं इंसान हूँ कुछ भी कर सकता हूँ।
- वैभव जोशी ( © उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि )
O Himalaya!
O great great Himalaya!
Dauntless you were,
Strong & inviolable too,
With plenty of self esteem,
How arrogant you were!
On being at zenith..
But look, what i did?
I broke your zeal in seconds,
Disfigured your glorifying face,
Devoid you of all your grace.
You opined.......
Man is too tiny in front of you.
You thought only!
But I am human! I can do anything!
O great great Himalaya!
Dauntless you were,
Strong & inviolable too,
With plenty of self esteem,
How arrogant you were!
On being at zenith..
But look, what i did?
I broke your zeal in seconds,
Disfigured your glorifying face,
Devoid you of all your grace.
You opined.......
Man is too tiny in front of you.
You thought only!
But I am human! I can do anything!
- Vaibhav Joshi ( © Uttarakhand meri janmbhoomi)