Thursday 12 October 2017

Sparrow - Poetry : Remember That li'l Sparrow ? | गौरैया - कविता : याद है, वो नन्ही नन्ही गौरेया?


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 क्या हमारे बच्चे और हमारी आने वाली पीढ़ी गौरेया को देख पायेगी। बचपन में बहुत से किस्से और कहानियाँ हमने इस चिड़िया के बारे में सुने है। पहले घर के आँगन में छोटा सा एक हिस्सा हुआ करता था जहाँ गौरेया के लिए चावल, धान के दाने रखे जाते थे। घर में कोई भी जगह देख के ये अपना घोंसला बना लेती थी पर कुछ समय से ये हमसे दूर चली गयी है और अब दिखाई नहीं देती। उन्ही पुराने दिनों में झाकते हुए गौरेया को ढूढ़ने का प्रयास करती ये कविता जरूर आपके दिल को छू जाएगी। Please Like our Page :- https://www.facebook.com/umjb.in/
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